आम्रपाली मामले में बैंक बने रहे मूकदर्शकः कोर्ट


उच्चतम न्यायालय ने कर्ज से लदे आम्रपाली समूह का रियल एस्टेट नियमन एवं विकास अधिनियम (रेरा) में पंजीकरण को रद्द कर दिया है। न्यायालय ने फैसले में बैंक आफ बड़ौदा, सिंडिकेट बैंक, बैंक आफ इंडिया, काॅर्पोरेशन बैंक की खिंचाई करते हुए कहा कि इन्होंने रियल एस्टेट कंपनी को दी गई अग्रिम धनराशि के इस्तेमाल की कोई निगरानी नहीं की। शीर्ष न्यायालय ने यह भी कहा, ‘बैंक मूकदर्शक बने रहे’ और धन का इस्तेमाल दूसरे मद में होता रहा। न्यायमूर्ति अरूण मिश्र और न्यायमूर्ति यूयू ललित के दो न्यायधीशों के पीठ ने अपने फैसले में बैंकों की तीखी आलोचना की और कहा कि आम्रपाली समूह को किसी बैंक को कोई धन देने की जरूरत नहीं थी, क्योंकि कंपनी ने मकान के खरीदारों से भारी मात्रा में धन जमा कर लिया था। शीर्ष न्यायालय ने कहा कि यह साफ संकेत थे कि आम्रपाली ग्रुप आफ कंपनीज धन का इस्तेमाल दूसरे मद में कर रहा है, उसके बावजूद बैंकों ने वित्तपोषण किया। उधर प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने आम्रपाली समूह तथा उसके प्रवर्तकों के खिलाफ धनशोधन का आपराधिक मामला दर्ज किया है। ईडी के लखनऊ कार्यालय ने नोएडा पुलिस के समक्ष कंपनी के खिलाफ कम से कम 16 प्राथमिकी दर्ज होने का संज्ञान लेते हुए इस महीने की शुरूआत में धनशोधन रोकथाम अधिनियम के तहत मामला दर्ज किया है।

उच्चतम न्यायालय ने कहा कि बैंक आफ बड़ौदा, सिंडिकेट बैंक, बैंक आफ इंडिया और काॅर्पोरेशन बैंक ने धन के इस्तेमाल की निगरानी नहीं की