देश में फिर से बढ़ रहा है कॅश लेनदेन का चलन

देश में फिर से बढ़ रहा है कॅश लेनदेन का चलन

वर्ष 2016 में हुई नोटबंदी के बाद लोगों को कैश की बजाय डिजिटल ट्रांजेक्शन में शिफ्ट करने की सरकारी कोशिश पूरी तरह कामयाब नहीं हो पाई है।

आरबीआई की रिपोर्ट के मुताबिक नोटबंदी के वक्त यानी वित्त वर्ष 2016-17 में नकदी का इस्तेमाल सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) का महज 8.7 प्रतिशत रह गया था। लेकिन वित्त वर्ष 2018-19 में यह बढ़कर 11.2 प्रतिशत हो गया है। यह नोटबंदी से पहले वित्त वर्ष 2015-16 के आंकड़े से महज 0.9 प्रतिशत कम है। जीडीपी में इतना ज्यादा कैश का चलन होना लोगों में नकद के प्रति लगाव बताता है। इसलिए रिपोर्ट में कहा गया है कि भारत में अभी नकद ही राजा है। हालांकि डिजिटल करेंसी के पक्ष में भी लोगों में सकारात्मक बदलाव आया है।

नोटबंदी के बाद लोगों ने फिर से नकदी इकट्ठा करने की आदत अपना ली है। इसके चलते डिजिटल लेनदेन में वृद्धि के साथ नकद लेनदेन में उल्लेखनीय वृद्धि हुई है। लोगों को अभी भी डिजिटल की बजाय नकदी के रूप में आभूषण खरीदने की आदत है। यह इस कारण से भी हो सकता है कि अपने पास मौजूद धन का खुलासा नहीं करना चाहते।