मांग बढ़ाने से दूर होगी आर्थिक मंदी: सेन

आर्थिक सुस्ती ने निपटने के लिए सरकार को मांग बढ़ाने पर ज्यादा ध्यान देना होगा जबकि हाल में उठाए गए कदमों का झुकाव आपूर्ति बढ़ाने की तरफ ज्यादा है। इससे घोषणाओं का पूरा लाभ मिलना मुश्किल लगता है।

अर्थव्यवस्था में समस्या मांग की कमी है। ग्रामीण क्षेत्र में मांग कमजोर बनी हुई है। ग्रामीण क्षेत्र में लोगों की आय नहीं बढ़ी है। यहां तक कि शहरी क्षेत्र में भी आर्थिक रूप से कमजोर तबके की आय नहीं बढ़ी है। इसका असर मांग पर पड़ रहा है। प्रधानमंत्री किसान सम्मान निधि (पीएम किसान) योजना एक अच्छा कदम है, लेकिन इस पर ठीक से अमल नहीं हो पाया है।

इस योजना के तहत किसानों को साल में 6,000 रुपये देने का प्रावधान है। पिछले साल के बजट में इस योजना के तहत रखे गए 25,000 करोड़ रुपये खर्च नहीं हो पाए हैं। सरकार यदि सार्वजनिक निवेश बढ़ाती है तो यह ऐसा होना चाहिए, जिसमें जनता के हाथ में पैसा जाए। क्षेत्र की आवासीय परियोजनाओं, लघु सिंचाई योजनाओं पर काम तेज किया जाना चाहिए। इनमें स्थानीय ठेकेदारों और स्थानीय मजदूरों को काम दिया जाना चाहिए। इससे अर्थव्यवस्था में गतिविधियां बढ़ेगी, आय बढ़ेगी और मांग पर इसका अनुकूल असर होगा।

देश दुनिया में आर्थिक मंदी की चर्चा जोरों पर है। अमेरिका और चीन के बीच व्यापार युद्ध से अंतरराष्ट्रीय व्यापार प्रभावित हो रहा है। क्या भारत पर भी इसका असर पड़ रहा है? थोड़ा बहुत असर जरूर पड़ेगा लेकिन अनुभव बताता है कि भारतीय अर्थव्यवस्था में अपने बूते पर ही 7 प्रतिशत आर्थिक वृद्धि हासिल करने की क्षमता है।