वाहन कलपुर्जा उद्योग में श्रम समस्याओं को देखते हुए तमिलनाडु सरकार ने उसे पब्लिक यूटिलिटी सेवा की श्रेणी में रखने का निर्णय लिया है। वाहनों के मूल उपकरण विनिर्माताओं को भी पब्लिक यूटिलिटी सेवा का दर्जा दिया गया है। यह दर्जा मिलने का मतलब साफ है कि कर्मचारियों के लिए अब हड़ताल करना आसान नहीं होगा।

वाहन उद्योग के लिए जबरदस्त माहौल तैयार करने के साथ ही तमिलनाडु विश्व के शीर्ष 10 वाहन विनिर्माण केंद्रों मंे शामिल है। वर्ष 2017-18 में भारत से वाहनों/कारों के कुल निर्यात में तमिलनाडु का योगदान 45 फीसदी रहा। देश के कुल वाहन कलपुर्जे के उत्पादन में इस राज्य का योगदान करीब 35 फीसदी है। साथ ही तमिलनाडु देश में टायर उत्पादन करने वाला सबसे बड़ा राज्य भी है।

उल्लेखनीय है कि प्लाईवुड एवं लेमिनेट उद्योग का टर्नओवर हम चाहे जितना भी मानते (कहते) रहें, सरकारी आंकड़ों में इसकी स्थिति इतनी कमजोर है कि न तो हम अपनी बात उपर तक पहुंचा सकते हैं न ही अपनी दिक्कतें दूर करने के लिए सरकार को अपनी ओर आकर्षित कर सकते हैं।

सरकारी राजस्व की आमदनी से ही किसी भी उद्योग का लेखा जोखा उपर तक पहंुच कर नजर में आता है। आम बजट के किसी भी हिस्से तक इस उद्योग की पहंुच नहीं है। यह बहुत ही चिंतनीय विषय है।

इस विषय पर संगठन के पदाधिकारियों के साथ-साथ समस्त उद्योगपतियों को भी आग्रह के साथ सोचना चाहिए।