जीएसटी के फेक इनवाॅइस से सरकार परेशान,
लग रहा करोड़ों का चूना

लगातार एक लाख करोड़ के जीएसटी कलेक्षन लक्ष्य से चूक रही सरकार

सरकार ने जीएसटी कलेक्शन में फेक इनवाॅइस पर चिंता जताई है। इससे टैक्स कलेक्शन बुरी तरह से प्रभावित हो रहा है। केंद्रीय मंत्री अनुराग ठाकुर ने कहा कि फर्जी इनवाॅइस का मामला सरकार के समाने चुनौती बन चुका है। जीएसटी कलेक्शन की प्रक्रिया में फेक इनवाॅइस के मामले बढ़ते जा रहे हैं। इससे उबरने के लिए उद्योग जगत को सरकार के साथ मिलकर काम करना होगा।

ठाकुर ने आपसी व्यापार में फेक इनवाॅइस की बढ़ती घटनाओं पर जोर देते हुए कहा कि बी-टू-बी यानी दो कारोबारियों के आपसी बिजनेस में फर्जी इनवाॅइस का धड़ल्ले से प्रयोग हो रहा है। जीएसटी कलेक्शन के सामने फेक इनवाॅइस ने गंभीर चुनौती खड़ी कर दी है। ठाकुर ने कंज्यूमर इलेक्ट्राॅनिक्स एंड एप्लायंसेज मैन्यूफैक्चरर्स एसोसिएशन के वार्षिक सत्र में जीएसटी प्रक्रिया को आसान और पारदर्शी बनाने की बात भी कही।

इस बीच 15वें वित्त आयोग के अध्यक्ष एनके सिंह ने जीएसटी की संरचना पर आपत्ति जताई है। उन्होंने कहा है कि राजस्व बढ़ाने के लिए जीएसटी के लिए जीएसटी के ढांचे में सुधार की जरूरत है। उन्होंने जीएसटी दाखिल करने की बोझिल प्रक्रिया को सरल बनाने की वकालत भी की है। सरकार पिछले कई महीनों से एक लाख करोड़ रुपए का जीएसटी कलेक्शन लक्ष्य चूक रही है। सिंह ने कहा कि जीएसटी प्रक्रिया में सुधार के बिना कलेक्शन बढ़ा पाना संभव नहीं है।

ऐसे होता है फेक इनवाॅइस का प्रयोग

हेरफेर करने वाले जीएसटी पोर्टल पर फर्जी दस्तावेजों के जरिये रजिस्ट्रेशन करते हैं। इसके बाद फर्जी तरीके से रजिस्टर की गई कंपनी के नाम पर सिर्फ कागजों पर खरीद-फरोख्त की जाती है। दूसरे व्यापारी कुछ रुपए देकर इन फर्जी रसीदों को हासिल कर लेते हैं। बाद में इन फर्जी इनवाइस का प्रयोग टैक्स में छूट और इनपट टैक्स क्रेडिट (आईटीसी) क्लेम करने में किया जाता है।

उद्योग जगत पर जरूरत से ज्यादा नियमनः मजूमदार

बायोकाॅन की संस्थापक व चेयर पर्सन किरण मजूमदार शाॅ ने उद्योग जगत और सरकार के बीच भरोसा बढ़ाएं जाने की जरूरत बताई है। एक काॅरपोरेट गवर्नेंस समिट में किरण ने कहा कि कारोबार को आसान बनाने के लिए सरकार और नियामकों को प्रशासनिक कार्यों पर अधिक ध्यान देना होगा। कारोबारी जगत और सरकार के बीच भरोसा लगातार घट रहा है। व्यापारियों के साथ अपराधी जैसा व्यवहार करने की प्रवृत्ति भी बढ़ी है। मजूमदार के मुताबिक व्यापार जगत को जरूरत से ज्यादा नियमन का सामाना करना पड़ रहा है। इसकी वजह से कारोबारियों का समय इसी में जा रहा है और व्यापारिक गतिविधियां प्रभावित हुई हैं। व्यापार जगत के ऊपर से नियमों का बोझ कम करके उसे व्यापारिक कार्यों के लिए और समय दिए जाने की जरूरत है।