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बजटः शुरू में समझने में थोड़ी परेशानी ,
बाद में होगी आसानी

आम बजट में नई आयकर प्रणाली का प्रावधान किया गया है। हालांकि पुरानी कर प्रणाली भी बरकरार रहने से अब आयकर की दो कर प्रणाली हो गई हैं। ऐसे में हो सकता है कि शुरूआत में आयकरदाताओं को आयकर की दोहरी कर प्रणाली को समझने में परेशानी महसूस हो और यह सुगम न लगे लेकिन समय के साथ दोहरी आयकर प्रणाली की व्यवस्था सुगम लगने लगेगी। जहां तक इन दोनों आयकर प्रणाली के आयकरदाताओं के लिए फायदे की बात है तो पुरानी आयकर प्रणाली उन लोगों के लिए फायदेमंद है, जो तमाम छूट और रियायतों का लाभ लेना चाहते हैं और नई आयकर प्रणाली उन करदाताओं का फायदा पहुंचाएगी , जो छूट और रियायतों का लाभ नहीं उठाते हैं। नई आयकर प्रणाली ऐसे करदाताओं के लिए भी फायदेमंद होगी, जो घर का किराया या गृह कर्ज पर ब्याज की रियायत नहीं लेते हैं। कई बार आयकरदाता सिर्फ आयकर बचाने के लिए ही तमाम आयकर छूट वाली बचत योजनाओं, बीमा पाॅलिसी आदि में निवेश करते हैं, जबकि उन्हें ज्यादा पैसे की जरूरत है। अब नई कर आयकर प्रणाली के बाद कम छूट व रियायत लेने वाले को ज्यादा कर नहीं देना होगा। लिहाजा ऐसे आयकरदाता थोड़ा- बहुत कर बचाने के लिए बिना खास वजह के आयकरमुक्त योजनाओं में निवेश नहीं करना चाहेंगे। जो ज्यादा छूट व रियायतें लेते हैं, उनके लिए पुरानी आयकर प्रणाली का विकल्प भी मौजूद है। ऐसे में मुझे नहीं लगता कि दोहरी आयकर प्रणाली से लंबे सयम में आयकरदाताओं को बहुत ज्यादा समस्या होने वाली है। जहां तक दोहरी कर प्रणाली से बचत प्रभावित होने का सवाल है तो बचत की प्रवृत्ति पर भी खास असर नहीं होने वाला है। सिर्फ बचत के माध्यम बदल जाऐंगे। पुरानी आयकर प्रणाली को पसंद करने वाले आयकर छूट वाली योजनाओं में निवेश करेंगे, वहीं नई आयकर प्रणाली को पसंद करने वाले ऐसी योजनाओं में निवेश करेंगे, जिनसे उन्हें ज्यादा रिटर्न मिले। भले ही उन्हें इन योजनाओं में निवेश और कमाई पर कर देना पड़े।

इस विकल्प का प्रयोग ऐसे प्रत्येक पूर्व वर्ष के लिए किया जाना होगा, जिसमें व्यक्ति या हिंदू अविभक्त कुटुंब की कोई कारोबार आय नहीं है। तथापि, जहां किसी व्यक्ति/हिंदू अविभक्त कुटुंब की कुल आय में कोई कारोबार आय सम्मिलित है, वहां एक बार इस विकल्प का प्रयोग कर लिए जाने पर वह उस वर्ष और प्रत्येक पश्चातवर्ती वर्ष के लिए लागू होगा।