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यूपी सरकार के तर्कों को एनजीटी ने नकारा

यमुनानगर जगाधरी की लक्कड़ मंडी पूरी तरह से यूपी के पोपुलर उत्पादक किसानों पर निर्भर हैं। वहां के किसानों के पैदा किए गए पोपुलर से हमारे प्लाइवुड इंडस्ट्री की खपत पूरी होती है। करीब 60 प्रतिशत लकड़ी यूपी से आती है। अगर वहां पर नई फैक्ट्रियां नहीं लगेंगी तो यहां पर माल ज्यादा आएगा।

यूपी में पहले से करीब पांच हजार वुड बेस्ट इंडस्ट्री है। इसमें आरा मशीन, प्लाइवुड से लेकर अन्य इंडस्ट्री है। वहीं इसके बाद 1350 लाइसेंस और जारी कर दिए गए, जबकि सर्वे के अनुसार वहां पर इतनी हरियाली नहीं है कि नई यूनिट की डिमांड भी पूरी हो सके। डिमांड पूरी करने के लिए वहां पर जंगल काटने पड़ते। नए इंडस्ट्री के लिए लकड़ी की उपलब्धता को लकर सुप्रीम कोर्ट ने भी साल 2019 में फैसला दिया था। इसके बाद भी नए लाइसेंस जारी कर दिए गए। एनजीटी में यूपी सरकार की तरफ से नए लाइसेंस को लेकर कहा गया कि जारी किए गए लाइसेंस से 632 नई यूनिट लग चुकी हैं। ये जल्द ही शुरू हो जाएगी। लाइसेंस लेने वालों ने बैंकों से लोन लेकर ये इंडस्ट्री लगाई हैं। इसके साथ ही नई इंडस्ट्री में किसानों का पैदा किए जाने वाला पोपुलर ही खपेगा। न कि इनमें जंगल की लकड़ी यूज होगी। इसके साथ ही नई इंडस्ट्री लगने से लकड़ी डिमांड बढ़ेगी तो ज्यादा पोपुलर लगाया जाएगा। इसके साथ ही प्रदेश में रोजगार बढ़ेगा और व्यापार भी बढ़ेगा। इस तरह के तर्क यूपी सरकार की तरफ से एनजीटी में दिए गए थे।

सौजन्य: नरेंद्र बाफना